द गोल्ड सिंडीकेट

द गोल्ड सिंडीकेट
द गोल्ड सिंडिकेट
रवि रंजन गोस्वामी
© रवि रंजन गोस्वामी

समर्पण
माँ स्व.श्रीमती भगवतीदेवी गोस्वामीl,
पिता स्व. श्री पी डी गोस्वामी,
पत्नी -केश कुमारी गोस्वामी,
पुत्री- दिविता गोस्वामी l l
स्वीकारोक्ति
इस लघु उपन्यास का खण्ड दो पहले “भयाक्रांत” शीर्षक से मेरी एक पुस्तक “मेरी पांच कहानियां” में एक कहानी के रूप में प्रकाशित हो चुका है तथा खण्ड आठ भी उसी पुस्तक में एक कहानी में प्रकाशित हो चुका है। l
पुस्तक परिचय
1-स्वप्न
2-एक भयाक्रांत व्यक्ति
3 -सेठ गोपीचंद
4- दिल्ली से वापसी
5- खुर्रम और जिम्मी
6 -मुंबई में खुर्रम
7 -कोंच यात्रा
8-बंदरों का उत्पात
9- दादा जी झाँसी में
10 -पुनःदिल्ली
11 -खुर्रम उर्फ सलीम
12 -सलीम और सेठ
13 -मेरी नौकरी
14- पम्मी ,शुभांग,औरशालिनी
15- नौकरी में सिलेक्शन
16 -खुर्रम को काम
17- खुर्रम का टेस्ट
18 -डिटेक्टिव एजेंसी का बुलावा
19- शुभांग,पम्मी के घर
20 -सत्कारी बाबा
21- मेरी ट्रेनिंग
22 -एजेंसी चीफ से भेंट
23- शेख का बुलावा
24 -पड़ोसी देश में हलचल
25- ट्रेनिंगकेबाद
26 -कुलकर्णी का मुखबिर
27 -गोल्ड सिंडिकेट
28- सोने की तस्करी की योजना
29 -सत्कारी बाबा की पोल
30 -कुलकर्णी और कमिश्नर
31 -खुर्रम और जिम्मी के कार्य
32- कुलकर्णी का दोस्त चाको
33- चाको की इन्फॉर्मेशन
34 -कोचीन ऑपरेशन
35 - खुर्रम की वापसी
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